स्थान: बरसाना और वृंदावन
समय: आधुनिक युग का प्रारंभ
📖 कहानी का आरंभ
बरसाना के पास एक छोटा-सा गाँव था — "गहवर वन" से कुछ दूरी पर। वहाँ एक निर्धन लेकिन अत्यंत भक्त व्यक्ति रहता था, नाम था भोलानाथ। उसका जीवन बहुत साधारण था — दिन में मजदूरी करता और रात में राधा-कृष्ण का भजन गाता।
उसके पास न घर ढंग का था, न भोजन की गारंटी, लेकिन उसके पास था अटूट विश्वास और प्रेम — राधा रानी और श्रीकृष्ण के प्रति।
🙏 संकट की घड़ी
एक बार गाँव में भीषण सूखा पड़ा। काम बंद हो गया। भोलानाथ को कई दिन भूखा रहना पड़ा। शरीर कमजोर होने लगा, लेकिन उसका भजन बंद नहीं हुआ। वह रोज बरसाना की गलियों में राधा रानी को पुकारता:
> "हे राधे! अब तो तुम्हारे दर पे आया हूँ। अगर तुम सच्चे में मेरी माँ हो, तो अपना दर्शन दे दो या मुझे मोक्ष दे दो।"
🌟 राधा रानी का करुणा भाव
एक रात, जब भोलानाथ गहवर वन में भजन कर रहा था, अचानक चारों ओर अद्भुत सुगंध फैल गई। चंद्रमा की रोशनी में एक देवी प्रकट हुईं — राधा रानी स्वयं थीं।
राधा रानी ने मुस्कुराते हुए कहा:
"भोलानाथ! तूने हमें हृदय से पुकारा, भूख से, पीड़ा से, लेकिन अपनी श्रद्धा से कभी पीछे नहीं हटा। आज तेरा प्रेम हमें बरसाना से खींच लाया।"
उसके साथ श्रीकृष्ण भी प्रकट हुए — बाँसुरी की मधुर धुन बजाते हुए।
🌾 भक्त का उद्धार
राधा-कृष्ण ने अपने हाथों से भोलानाथ को भोजन कराया, आशीर्वाद दिया और कहा:
"जहाँ प्रेम है, वहाँ हम हैं। तू अब कभी भूखा नहीं रहेगा। जब-जब तू हमें पुकारेगा, हम तेरे पास होंगे।"
भोलानाथ की आँखों में आँसू थे। वह राधा रानी के चरणों में गिर गया और बोला:
"मुझे अब कुछ नहीं चाहिए, बस आपका नाम मेरे होंठों पर सदा रहे।"
🌸 कथा का अंत और संदेश
भोलानाथ को उसी रात से गाँव वालों ने देखा कि उसके पास हर दिन भोजन आता है, लेकिन कोई लाता नहीं। उसका चेहरा तेज से चमकता है और जब वह भजन करता है, तो ऐसा लगता जैसे पूरा बरसाना झूम उठता है।
कहा जाता है कि वो अब भी वृंदावन के किसी गुप्त स्थान पर भजन करता है — और जिनका प्रेम सच्चा हो, उन्हें राधा-कृष्ण दर्शन ज़रूर देते हैं।
📜 शिक्षा:
राधा-कृष्ण भक्ति में शक्ति है, लेकिन केवल वही देख पाता है जो सच्चे हृदय से पुकारे।



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