एक भावुक कहानी एक बेटे की, जो अपने पिता को खो देता है और उनके लिए अधूरी चिट्ठी में अपनी भावनाएँ बयाँ करता है। एक सच्ची संवेदना और रिश्तों से भरी हिंदी कहानी।"
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| By Vivek Kumar Mishra |
प्रिय पापा,
आज जब मैंने आपका पुराना कुर्ता अलमारी में देखा, वो वही था जो आपने दीवाली की रात पहना था। आपकी खुशबू अब भी उसमें बसी है, लेकिन आप नहीं हैं...
मैंने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब मैं आपको यूँ लिख रहा होऊँगा—बिना किसी जवाब की उम्मीद के। आप हमेशा कहते थे, "बेटा, जो कहना है, मुँह से कहो। दिल में रखना ठीक नहीं होता।" मगर आज मेरे पास न आप हैं, न आपकी आवाज़... बस कुछ अधूरे जज़्बात हैं जो इस चिट्ठी के ज़रिए आपको भेज रहा हूँ।
बचपन की वो उंगली...
जब मैं छोटा था, आपका हाथ पकड़ कर चलना सीखा था। आपकी उंगली ने मुझे चलना, बोलना, जीना सिखाया। स्कूल छोड़ने जाते वक़्त जब मैं पीछे मुड़कर देखता था, तो आप मुस्कुरा कर हाथ हिलाते थे। मुझे लगता था, आप Superhero हो – जो कभी थकते नहीं, कभी रोते नहीं, कभी हारते नहीं।
लेकिन मैं गलत था...
आप भी थकते थे। जब रात को थककर आते थे और फिर भी मेरे लिए लूडो खेलते थे – वो प्यार सिर्फ़ एक पिता ही दे सकता है।
आपने कभी शिकायत नहीं की...
आपने कभी अपने सपनों की बात नहीं की। हमेशा मेरे लिए सोचा। कॉलेज की फीस भरने के लिए आपने अपनी घड़ी बेच दी थी – वो घड़ी जो दादी ने शादी में दी थी। जब मैंने पूछा तो आपने कहा, “घड़ी तो और भी आ जाएगी, लेकिन तेरा वक़्त अच्छा होना चाहिए।”
आख़िरी मुलाक़ात...
आपको अस्पताल में देखकर मेरा दिल टूट गया था।
आप फिर भी मुस्कुरा कर बोले – “डॉक्टर कह रहा है दो दिन में घर जा सकेंगे।”
और वही आपकी आख़िरी मुस्कान थी...
आपने तो हिम्मत नहीं हारी पापा, लेकिन शायद भगवान ने आपकी मेहनत की छुट्टी दे दी।
अब समझ में आता है...
अब जब खुद ज़िम्मेदारियाँ उठानी पड़ती हैं, तब समझ आता है कि आप पर क्या-क्या बीतती थी। कैसे आप हर सुबह बिना शिकायत के काम पर जाते थे, कैसे EMI चुकाते थे, कैसे सबके चेहरे पर मुस्कान लाते थे — जबकि आपकी आँखों में थकान होती थी।
बस एक बार...
काश... एक बार आपसे कह पाता –
"पापा, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ। मैं हमेशा आपको मिस करता हूँ।"
काश एक बार... आप फिर से मेरी पीठ थपथपाकर कहते –
"चल बेटा, घबराना नहीं, मैं हूँ ना!"
मेरी प्रेरणा, मेरे भगवान
आप मेरे भगवान हो, पापा।
आपके जाने के बाद हर फ़ैसला लेने से पहले मैं एक बार ऊपर देखता हूँ… और ऐसा लगता है जैसे आप आज भी मेरी हर राह पर मेरे साथ चल रहे हो।
इस चिट्ठी का अंत नहीं...
ये चिट्ठी कभी पूरी नहीं होगी...
क्योंकि जब तक मेरी साँसें चलेंगी, आप मेरे अंदर जिंदा रहेंगे।
आपका बेटा।



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