अभ्यास शक्ति-2025: भारत-फ्रांस संयुक्त सैन्य अभ्यास का एक नया अध्याय
भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग वर्षों से मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है। इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम के रूप में, अभ्यास शक्ति-2025 का आयोजन फ्रांस के ला कैवेलरी क्षेत्र में 18 जून से 1 जुलाई 2025 तक किया जाएगा। यह भारत और फ्रांस के बीच होने वाला एक साझा सैन्य अभ्यास है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच सामरिक तालमेल और रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करना है।
क्या है अभ्यास शक्ति?
अभ्यास शक्ति एक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है, जो भारत और फ्रांस के बीच आयोजित किया जाता है। यह अभ्यास हर दो वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है और इसकी मेज़बानी दोनों देशों में बारी-बारी से होती है। इस बार इसका आठवां संस्करण फ्रांस में हो रहा है, जबकि इसका सातवां संस्करण 2024 में भारत के मेघालय राज्य स्थित उमरोई सैन्य अड्डे पर आयोजित हुआ था।
इस अभ्यास का मूल उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे की युद्ध तकनीकों, रणनीतियों और कार्यशैली को समझने का अवसर देना है। इससे दोनों पक्षों के बीच आपसी विश्वास, समन्वय और सहयोग को नई ऊंचाई मिलती है।
अभ्यास शक्ति-2025 की खास बातें
1. स्थान और तिथि: अभ्यास शक्ति-2025 का आयोजन ला कैवेलरी, फ्रांस में 18 जून से 1 जुलाई 2025 तक किया जाएगा। यह स्थान फ्रांस का एक प्रमुख सैन्य प्रशिक्षण क्षेत्र है।
2. साझा भागीदारी: इस संयुक्त सैन्य अभ्यास में भारत और फ्रांस की सेनाएं साथ मिलकर हिस्सा लेंगी। दोनों देशों के सैनिक संयुक्त रूप से कई प्रकार के अभ्यासों में भाग लेंगे, जिनमें शहरी युद्ध, जंगल युद्ध, आतंकवाद विरोधी अभियानों, और नागरिक सहायता अभियानों जैसे तत्व शामिल होंगे।
3. बहु-डोमेन संचालन का अभ्यास: अभ्यास शक्ति-2025 का मुख्य फोकस “मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस” यानी ऐसे सैन्य अभियानों पर रहेगा, जिनमें ज़मीन, आकाश, समुद्र, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ काम करना हो। यह आज के समय की सैन्य ज़रूरतों के अनुरूप अत्यंत आवश्यक अभ्यास है।
4. उप-परंपरागत युद्ध परिदृश्य: इस अभ्यास के तहत उप-परंपरागत युद्ध स्थितियों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उप-परंपरागत युद्ध का अर्थ है – ऐसे युद्ध जो पारंपरिक सीमाओं से हटकर होते हैं, जैसे आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन, छापामार युद्ध, शहरी क्षेत्रों में लड़ाई आदि।
अभ्यास के उद्देश्य
इंटरऑपरेबिलिटी (अंतर-संचालन) को बढ़ावा देना, जिससे दोनों देशों की सेनाएं साथ मिलकर काम कर सकें और एक-दूसरे की युद्ध रणनीतियों को समझ सकें।
रणनीति और तकनीक का आदान-प्रदान, ताकि दोनों सेनाएं एक-दूसरे की बेहतरीन सैन्य प्रथाओं से सीख सकें।
मित्रता और विश्वास का निर्माण, जिससे द्विपक्षीय सैन्य संबंधों को और मजबूती मिले।
जमीनी स्तर पर सामंजस्य, जिससे किसी भी साझा मिशन या शांति रक्षा अभियान में दोनों देश मिलकर बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
भारत-फ्रांस सैन्य सहयोग: एक दीर्घकालिक साझेदारी
भारत और फ्रांस के बीच सैन्य सहयोग केवल अभ्यास शक्ति तक ही सीमित नहीं है। दोनों देशों ने पिछले कुछ दशकों में रक्षा तकनीक, उपकरण निर्माण, और खुफिया जानकारी साझा करने जैसे कई क्षेत्रों में गहरा तालमेल बनाया है।
राफेल विमान डील इस सहयोग का एक बड़ा उदाहरण है, जिसके तहत भारत ने फ्रांस से अत्याधुनिक लड़ाकू विमान खरीदे हैं।
नौसेना सहयोग भी लगातार बढ़ रहा है। दोनों देशों की नौसेनाएं नियमित रूप से संयुक्त समुद्री अभ्यास करती हैं, जैसे वरुणा।
अंतरिक्ष और साइबर सुरक्षा जैसे आधुनिक क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ रहा है, जो आने वाले समय में अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित होगा।
रणनीतिक महत्व
फ्रांस न केवल यूरोप का एक प्रभावशाली देश है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसकी मौजूदगी और रुचि भी भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से लाभकारी है। भारत की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' और फ्रांस की 'इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी' कई मामलों में मेल खाती हैं, और अभ्यास शक्ति जैसा सैन्य सहयोग इस रणनीतिक साझेदारी को मजबूती देता है।
निष्कर्ष
अभ्यास शक्ति-2025 भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग का एक मजबूत स्तंभ है। यह केवल एक प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास, रणनीतिक तालमेल और साझा सुरक्षा हितों का प्रतीक है। इस तरह के अभ्यास भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए दोनों सेनाओं को बेहतर रूप से तैयार करते हैं।
जैसे-जैसे वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य जटिल होता जा रहा है, भारत और फ्रांस जैसे लोकतांत्रिक राष्ट्रों के बीच इस तरह के सहयोगात्मक प्रयास न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाते हैं, बल्कि वैश्विक स्थिरता में भी अहम भूमिका निभाते हैं।




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