रक्षाबंधन: रिश्तों की डोर और विश्वास का पावन पर्व
भारत त्योहारों की भूमि है, जहां हर पर्व के पीछे एक गहरी सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक भावना छिपी होती है। इन्हीं पर्वों में से एक है रक्षाबंधन, जिसे हम प्यार से राखी भी कहते हैं। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट बंधन, प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के वचन का प्रतीक है। श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह दिन केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं, बल्कि हर उस रिश्ते में अपनापन जगाता है जिसमें रक्षा, विश्वास और स्नेह का भाव हो।
रक्षाबंधन का अर्थ और महत्व
“रक्षाबंधन”
शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है — ‘रक्षा’ यानी सुरक्षा और ‘बंधन’ यानी डोर। यह त्योहार बहन द्वारा भाई की कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधकर उसके जीवन, सम्मान और सुख-समृद्धि की कामना करने तथा भाई द्वारा उसकी आजीवन रक्षा करने के वचन पर आधारित है।
यह धागा केवल धागा नहीं होता, बल्कि यह एक भावनात्मक बंधन है जो हमें यह याद दिलाता है कि रिश्ते केवल खून के नहीं होते, बल्कि विश्वास और प्रेम से भी बनते हैं।
पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएँ
रक्षाबंधन की महत्ता को समझने के लिए इसके पीछे की कथाओं को जानना जरूरी है।
1. श्रीकृष्ण और द्रौपदी
महाभारत काल की प्रसिद्ध कथा है कि एक बार श्रीकृष्ण का हाथ सुदर्शन चक्र से कट गया और रक्त बहने लगा। यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया। इस छोटे से कार्य ने उनके हृदय को छू लिया और उन्होंने द्रौपदी को वचन दिया कि वे जीवनभर उनकी रक्षा करेंगे। यही कारण है कि जब चीरहरण का समय आया, श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई।
2. रानी कर्णावती और हुमायूं
मध्यकाल में चित्तौड़ की रानी कर्णावती को बहादुर शाह का आक्रमण
झेलना पड़ा। उन्होंने मुगल बादशाह हुमायूं को एक राखी भेजकर रक्षा का अनुरोध किया। हुमायूं ने राखी के इस सम्मान को स्वीकार करते हुए उनकी सहायता के लिए सेना भेजी।
3. इंद्र और इंद्राणी
देव-असुर युद्ध के समय असुरों का पलड़ा भारी हो गया था। तब इंद्राणी ने अपने पति इंद्र के हाथ में रक्षा-सूत्र बांधा और उनकी विजय के लिए प्रार्थना की। इसके बाद इंद्र युद्ध में विजयी हुए।
4. अलेक्जेंडर और पुरु
इतिहास में दर्ज है कि सिकंदर की पत्नी रॉक्साना ने राजा पुरु को राखी बांधी और उनसे अपने पति की जान बख्शने का
वचन लिया। युद्ध के दौरान पुरु ने वचन निभाया और सिकंदर की जान बचा ली।
रक्षाबंधन की परंपराएं
भारत के अलग-अलग राज्यों में रक्षाबंधन का स्वरूप और रीति-रिवाज थोड़े अलग हो सकते हैं, लेकिन भाव एक ही रहता है।
1. पूजन की थाली – थाली में रोली, चावल, राखी, दीपक और मिठाई रखी जाती है।
2. तिलक और आरती – बहन भाई के माथे पर तिलक लगाती है, आरती उतारती है और राखी बांधती है।
3. उपहार और वचन – भाई बहन को उपहार देता है और जीवनभर उसकी रक्षा का वचन लेता है।
4. भोजन – घर में विशेष पकवान बनते हैं, खासकर मिठाइयाँ जैसे रसगुल्ला, गुलाब जामुन और लड्डू।
विभिन्न राज्यों में रक्षाबंधन
राजस्थान और गुजरात – यहाँ राखी
के साथ लूंप बांधने की परंपरा है, जो बुरी नजर से बचाने का प्रतीक है।
उत्तर भारत – यहाँ रक्षा-सूत्र बांधने के बाद भाई को तिलक लगाकर मिठाई खिलाने की परंपरा है।
महाराष्ट्र – यहाँ रक्षाबंधन के साथ नारियल पूर्णिमा भी मनाई जाती है, जिसमें मछुआरे समुद्र की पूजा करते हैं।
पश्चिम बंगाल और ओडिशा – इस दिन को झूला यात्रा और भगवान जगन्नाथ की पूजा के साथ जोड़ा जाता है।
आधुनिक समय में रक्षाबंधन का स्वरूप
आज के समय में रक्षाबंधन का अर्थ और भी व्यापक हो गया है। अब बहनें केवल
भाइयों को ही नहीं, बल्कि अपने जीवन के महत्वपूर्ण पुरुषों को, यहां तक कि सैनिकों और पुलिस कर्मियों को भी राखी बांधती हैं। यह न केवल पारिवारिक, बल्कि सामाजिक सुरक्षा और सम्मान का भी प्रतीक बन गया है।
इंटरनेट और सोशल मीडिया के दौर में ई-राखी और वीडियो कॉल से राखी बांधने का ट्रेंड भी तेजी से बढ़ा है, जिससे विदेश में रहने वाले भाई-बहन भी इस पर्व को साथ मना पाते हैं।
रक्षाबंधन से जुड़े अनसुने तथ्य
1. प्राचीन काल में राखी केवल भाई-बहन के बीच नहीं, बल्कि गुरु-शिष्य और राजा-प्रजा के बीच भी बांधी जाती थी।
2. नेपाल में भी रक्षाबंधन मनाया जाता है,
जहां इसे जनै पूर्णिमा कहते हैं।
3. सिक्ख धर्म में इसे राखी का त्योहार या राखी पूर्णिमा कहते हैं और गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन होते हैं।
4. कई जगह राखी के साथ रक्षासूत्र पेड़ों को भी बांधा जाता है, पर्यावरण संरक्षण के संदेश के रूप में।
रक्षाबंधन और भारतीय सेना
पिछले कुछ वर्षों में एक नई परंपरा शुरू हुई है — देशभर की महिलाएं और स्कूल के बच्चे सीमा पर तैनात सैनिकों को राखी भेजते हैं। यह देश की रक्षा करने वालों के प्रति आभार और सम्मान का प्रतीक है।
रक्षाबंधन से प्रेरणा
रक्षाबंधन हमें यह सिखाता है कि रिश्तों की असली ताकत प्रेम, त्याग और विश्वास में होती है। यह त्योहार हमें एक-दूसरे की सुरक्षा,
सम्मान और खुशहाली के लिए संकल्पित करता है।
रक्षाबंधन पर कविता
धागे में बंधा है विश्वास का संसार,
बहना के चेहरे की चमक है अपार।
भाई के दिल में है रक्षा का वचन,
राखी है प्रेम का अनमोल बंधन।
निष्कर्ष
रक्षाबंधन केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, हमारे मूल्यों और रिश्तों की गहराई का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि चाहे समय कितना भी बदल जाए, सच्चे रिश्तों की डोर कभी नहीं टूटती। राखी का यह
धागा हर दिल को जोड़ने, अपनापन बढ़ाने और एक-दूसरे की रक्षा के संकल्प को मजबूत करने का माध्यम है।

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