मुख्य कीवर्ड :
मध्य क्षेत्रीय परिषद 2025, अमित शाह वाराणसी बैठक, राज्य पुनर्गठन अधिनियम, फास्ट-ट्रैक कोर्ट भारत, ईआरएसएस 112 प्रणाली, राज्यों के बीच समन्वय, बाल कुपोषण भारत, स्कूल ड्रॉपआउट दर, भारतीय सहकारी क्षेत्र
प्रस्तावना
भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाने में क्षेत्रीय परिषदों की अहम भूमिका है। हाल ही में 25वीं मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक का आयोजन उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ। इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने की।
इस बैठक में उत्तर भारत के चार प्रमुख राज्यों – उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री शामिल हुए। इसके अलावा केंद्र और राज्यों के कई वरिष्ठ मंत्री, अधिकारी और विशेषज्ञ भी उपस्थित थे।
क्या है मध्य क्षेत्रीय परिषद?
मध्य क्षेत्रीय परिषद भारत सरकार द्वारा गठित पाँच क्षेत्रीय परिषदों में से एक है, जिसकी स्थापना राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के तहत हुई थी। इसका उद्देश्य राज्यों के बीच सहयोग, समन्वय और आपसी समझ को बढ़ावा देना है।
हर क्षेत्रीय परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री करते हैं, जबकि एक राज्य का मुख्यमंत्री उपाध्यक्ष की भूमिका निभाता है, जो हर वर्ष बदलता है।
बैठक के मुख्य बिंदु
इस 25वीं बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई और भविष्य की योजनाओं की नींव रखी गई। कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
1. प्रधानमंत्री मोदी और सशस्त्र बलों की सराहना
सभी राज्यों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और भारतीय सशस्त्र बलों की बहादुरी की खुले दिल से सराहना की गई।
2. आपसी समन्वय की मिसाल
यह बात गौर करने योग्य है कि मध्य क्षेत्रीय परिषद भारत की ऐसी एकमात्र परिषद है, जिसमें सदस्य राज्यों के बीच कोई आपसी विवाद नहीं है। यह आपसी सहयोग और विश्वास की मिसाल है।
3. बाल कुपोषण और शिक्षा पर फोकस
गृह मंत्री अमित शाह ने सभी राज्यों से बाल कुपोषण को समाप्त करने और स्कूल छोड़ने की दर को शून्य करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।
4. सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाना
बैठक में सहकारिता मंत्री के रूप में श्री शाह ने सहकारी संस्थाओं को मजबूत करने, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, विशेष बल दिया। इससे किसानों, छोटे व्यवसायों और स्थानीय समाज को आर्थिक बल मिलेगा।
बैठक में उठाए गए 19 प्रमुख मुद्दे
इस बार परिषद में राष्ट्रीय महत्व के 19 प्रमुख मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। इनमें शामिल हैं:
यौन अपराधों से जुड़े मामलों के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट का कार्यान्वयन
दूरस्थ गांवों में बैंकिंग सुविधाओं की पहुंच
ईआरएसएस-112 प्रणाली की शुरुआत, जिससे आम नागरिक आपात स्थिति में त्वरित मदद पा सकें।
कार्य-प्रणाली: स्थायी समितियों से लेकर पूर्ण बैठक तक
क्षेत्रीय परिषद की कार्यप्रणाली बहुत ही व्यवस्थित होती है। प्रत्येक राज्य के मुख्य सचिव और संबंधित अधिकारी स्थायी समितियों में पहले ही प्रस्तावित मुद्दों पर चर्चा करते हैं। यदि कोई मुद्दा अनसुलझा रहता है, तो उसे पूर्ण क्षेत्रीय परिषद की बैठक में लाया जाता है।
परिषदों की उपलब्धियां: 2014 से अब तक
2014 से अब तक का आंकड़ा दर्शाता है कि मोदी सरकार के नेतृत्व में क्षेत्रीय परिषदों की सक्रियता काफी बढ़ी है:
अवधि परिषद बैठकें स्थायी समिति बैठकें हल किए गए मुद्दे
2004–2014 11 बैठकें 14 स्थायी बैठकें
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2014–2025 28 बैठकें 33 स्थायी बैठकें 1,287 मुद्दों का समाधान
यह आँकड़े स्पष्ट रूप से बताते हैं कि पिछले ग्यारह वर्षों में क्षेत्रीय परिषदें एक मजबूत प्रशासनिक मंच बनकर उभरी हैं।
क्षेत्रीय परिषदें क्यों हैं जरूरी?
✔ केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संवाद का माध्यम
✔ अंतर-राज्यीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान
✔ संघीय ढांचे को मजबूती
✔ सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा
भविष्य की दिशा
मध्य क्षेत्रीय परिषद जैसी संस्थाओं के माध्यम से भारत का संघीय ढांचा और अधिक मजबूत हो रहा है। राज्यों के बीच सहयोग, नीति निर्माण में पारदर्शिता और समस्याओं के त्वरित समाधान से देश की प्रशासनिक दक्षता में सुधार हो रहा है।
इससे साबित होता है कि केवल कानून बनाना ही नहीं, बल्कि सहयोगपूर्ण कार्यान्वयन और संवाद के ज़रिए ही सर्वांगीण विकास संभव है।
निष्कर्ष
25वीं मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत सरकार राज्यों के साथ मिलकर सशक्त, समावेशी और समन्वित शासन की दिशा में अग्रसर है। गृह मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में उठाए गए मुद्दे न केवल वर्तमान जरूरतों को संबोधित करते हैं, बल्कि भविष्य की नींव भी मजबूत करते हैं।
यह बैठक सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि संगठित भारत की परिकल्पना की दिशा में एक और ठोस कदम है।



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